Sunday, March 27, 2016

अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक :
"THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY ”के अनुसार
प्रकृति ने समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जो की अन्य पशुओ में ऐसा नहीं है जिसके कारण गाय जो भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जाता है |
लाभ :- जिस प्रकार दूध से मक्खन निकालने वाली मशीन में जितनी अधिक गरारियां लगायी जाती है उससे उतना ही वसा रहित मक्खन निकलता है , इसीलिये गाय का दूध सर्वोत्तम है |
गो वात्सल्य :- गौ माता बच्चा जनने के 18 घंटे तक अपने बच्चे के साथ रहती है और उसे चाटती है इसीलिए वह लाखो बच्चों में भी वह अपने वच्चे को पहचान लेती है जवकि भैंस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी | गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक दूध नहीं देती है , जबकि भैस , जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और दूध दुह लो |
बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका दूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है |
खीस :- बच्चा देने के गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला कहते है , इसे तुरंत गर्म करने पर फट जाता है | बच्चा देने के 15 दिनों तक इसके दूध में प्रोटीन की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है , लेक्टोज , वसा ( फैट ) एवं पानी की मात्रा कम होती है | खीस वाले दूध में एल्व्युमिन दो गुनी , ग्लोव्लुलिन 12-15 गुनी तथा एल्युमीनियम की मात्रा 6 गुनी अधिक पायी जाती है |
लाभ:- खीज में भरपूर खनिज है यदि काली गौ का दूध ( खीझ) एक हफ्ते पिला देने से वर्षो पुरानी टीबी ख़त्म हो जाती है |
सींग :- गाय की सींगो का आकर सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है , जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरह आकाशीय उर्जा ( कोस्मिक एनर्जी ) को संग्रह करने का कार्य सींग करते है
गाय का ककुद्द ( ढिल्ला ) :- गाय के कुकुद्द में सुर्य्केतु नाड़ी होती है जो सूर्य से अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है , 40 मन दूध में लगभग 10 ग्राम सोना पाया जाता है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए गाय का घी हलके पीले रंग का होता है
गाय का दूध :- गाय के दूध के अन्दर जल 87 % वसा 4 %, प्रोटीन 4% , शर्करा 5 % , तथा अन्य तत्व 1 से 2 % प्रतिशत पाया जाता है |
गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन , 11 प्रकार के विटामिन्स , गाय के दूध में ‘ कैरोटिन ‘ नामक प्रदार्थ भैस से दस गुना अधिक होता है |
भैस का दूध गर्म करने पर उसके पोषक ज्यादातर ख़त्म हो जाते है परन्तु गाय के दूध के पोषक तत्व गर्म करने पर भी सुरक्षित रहता है |
गाय का गोमूत्र :- गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है , इसके अन्दर ‘ कार्बोलिक एसिड ‘ होता है जो कीटाणु नासक है , गौ मूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे ख़राब नहीं होता है इसमें कैसर को रोकने वाली ‘ करक्यूमिन ‘ पायी जाती है |
गौ मूत्र में नाइट्रोजन ,फास्फेट, यूरिक एसिड , पोटेशियम , सोडियम , लैक्टोज , सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई , इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है |
देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ‘ प्रोपिलीन ऑक्साइड ” उत्पन्न होती है जो बारिस लाने में सहायक होती है | इसी के मिश्रण से ‘ इथिलीन ऑक्साइड ‘ गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है |
गौ मूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है |
गाय का शरीर :- गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है |
Brand India 🇮🇳

Sunday, June 7, 2015

जानिये भारत भूमी के बारे मे विदेशीयो कि
राय
जरुर पढना----
1. अलबर्ट आइन्स्टीन - हम भारत के बहुत ऋणी
हैं, जिसने हमें गिनती सिखाई, जिसके बिना
कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज संभव नहीं
हो पाती।
2. रोमां रोलां (फ्रांस) - मानव ने आदिकाल
से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार
होने का इस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है
भारत।
3. हू शिह (अमेरिका में चीन राजदूत)- सीमा पर
एक भी सैनिक न भेजते हुए भारत ने बीस
सदियों तक सांस्कृतिक धरातल पर चीन को
जीता और उसे प्रभावित भी किया।...
4. मैक्स मुलर- यदि मुझसे कोई पूछे की किस
आकाश के तले मानव मन अपने अनमोल उपहारों
समेत पूर्णतया विकसित हुआ है, जहां जीवन
की जटिल समस्याओं का गहन विश्लेषण हुआ
और समाधान भी प्रस्तुत किया गया, जो उसके
भी प्रसंशा का पात्र हुआ जिन्होंने प्लेटो
और कांट का अध्ययन किया,तो मैं भारत का
नाम लूँगा।
5. मार्क ट्वेन- मनुष्य के इतिहास में जो भी
मूल्यवान और सृजनशील सामग्री है, उसका
भंडार अकेले भारत में है।
6. आर्थर शोपेन्हावर - विश्व भर में ऐसा कोई
अध्ययन नहीं है जो उपनिषदों जितना उपकारी
और उद्दत हो। यही मेरे जीवन को शांति देता
रहा है, और वही मृत्यु में भी शांति देगा।
7. हेनरी डेविड थोरो - प्रातः काल मैं अपनी
बुद्धिमत्ता को अपूर्व और ब्रह्माण्डव्याप
ी गीताके तत्वज्ञान से स्नान करता हूँ,
जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और
उसका साहित्य अत्यंत क्षुद्र और तुच्छ जन
पड़ता है।
8. राल्फ वाल्डो इमर्सन - मैं भगवत गीता का
अत्यंत ऋणी हूँ। यह पहला ग्रन्थ है जिसे
पढ़कर मुझे लगा की किसी विराट शक्ति से
हमारा संवाद हो रहा है।
9. विल्हन वोन हम्बोल्ट- गीता एक अत्यंत
सुन्दर और संभवतः एकमात्र सच्चा दार्शनिक
ग्रन्थ है जो किसी अन्य भाषा में नहीं। वह
एक ऐसी गहन और उन्नत वस्तु है जैस पर सारी
दुनिया गर्व कर सकतीहै।
10. एनी बेसेंट -विश्व के विभिन्न धर्मों का
लगभग ४० वर्ष अध्ययन करने के बाद मैं इस
नतीजेपर पहुंची हूँ की हिंदुत्व जैसा
परिपूर्ण, वैज्ञानिक, दार्शनिक और
अध्यात्मिक धर्म और कोई नही !!

Saturday, March 7, 2015


होली -  होली का नाम लेते ही रंग रंगीला उत्सव आपके मन में आता है।  पर क्या मालुम है कि
इस त्यौहार को मनाने के पीछे हमारे सनातन ऋषि -मुनियो का क्या विज्ञान था , वह समयाभाव और अज्ञानता की वजह से लुप्त हो गया


जैसा क़ि आप जानते हैं कि हमारे देश में चार ऋतुएँ होती है , शरद ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतू के
आरम्भ में फागुण  महीने में यह त्यौहार मनाया जाता है।  जो स्वरूप आज इस त्यौहार का है वह
प्राचीन काल नहीं था , और न ही रासायनिक रंगो का प्रयोग होता था।


सभी पड़े लिखे लोग जानते हैं कि यदि शरीर से उत्सर्जन पदार्थ नहीं निकालेंगे तब वह शरीर में
हानिकारक तत्व को पैदा कर देते हैं , और जब वह बाहर निकलते हैं तब बहुत कष्ट होता है।
शरद ऋतुओ में हमारी त्वचा से पसीना जो एक उत्सर्जन पदार्थ है रुक जाता है जिससे त्वचा के
रन्द्र यानि छेद रुक जाते है और जब बाहर के वातावरण का तापमान बढ़ जाता है तब त्वचा में
छोटे छोटे दाने दाने निकलने लगते है , जो बहुत कष्टकारी होते हैं , बच्चो में अक्सर चैत्र मॉस में
चेचक और खसरा भी इसी का परिणाम है।


इसी कष्टकारी पीड़ा को दूर करने के लिए हमारे ऋषियों ने होली नामक उत्सव को मनाने की
परम्परा का प्रारम्भ किया था ,


इसमें पूर्णिमा को चांदनी रात में आग जलाकर हवन करके वातावरण को इतना गर्म कर दिया जाता है कि शरीर से पसीना निकलने लगे और शरीर के रन्द्र खुल जाए , फिर क़िसी
भीगे कपडे से शरीर को साफ कर लिया जाता है।


अगले दिन टेसू /पलाश के फूल जो पहले दिन पानी में भिगो दिए जाते है उनको पिचकारी
की सहायता से एक दुसरे पर डालकर होली मनाते है जिसमे कपडे फूलो के रंग से काफी टाइम तक भीगे रहने की वजह से पसीना जो अम्लीय होता है और टेसू जो क्षारीय होता है ,
त्वचा को उदासीनीकरण कर देते हैं।  आपने देखा होगा कि घमौरियों के लिए भी केल्शियम
कार्बोनेट पाउडर लगाकर उदासीनीकरण करके (जो कि ठोस रूप में होता है ) त्वचा को
और नुक्सान पहुचाते है रंद्र को रोक देते हैं , जबकि तरल रूप में होली खेलकर हम पूरे साल में एक बार अपने शरीर की शुद्धि ही नहीं पूरे समाज को स्वस्थ रखते है , पर ध्यान रहे रासायनिक रंगो से नहीं।


देर से ही सही पर अपने ऋषियों की परम्परा को सनातन वैज्ञानिकता से जीवित रखिये
और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का सन्देश का दुनिया को दीजिये !

Saturday, May 17, 2014

thinking

Million Dollar Truth :

If Saturday And Sunday Don't Excite You,
then change your Friends.




If Monday doesn't Motivate you,
then change your profession.




If Monday is too exciting,
and you are dying to get to work,
then you should change your spouse!!!!!

to modi ji

to MODI JI  bahut bahut badhai 
1 we demand to declare last hindu king of delhi samrat vikramaditya HEMU who lead against akbar in second panipat war & install his status at old fort  delhi
2 give bharat ratna to magician of hockey DHAN CHAND 
SOME ONE LIKE ITS SO SUPPORT & SENT MESSAGE TO OTHERS

Monday, April 14, 2014

elecation

Govtment may start thinking about e voting and it will be helpful as soon as applied , it will be optional for people.
e -voting
ye sirf unkeliye hai jo line me lagana nahi chahate hai, ac room se bahar ane me 
taklif hoti hai. jo dhoop, barasat ke bahane karate hai.
or isaka sab bada fayada moveble duty karane walo ko hoga like defence person

Sunday, April 6, 2014

HOLY PER ABHI KUCH SAL PAHALE TAK TESHU KE PHOOLO KE RAS KA RANG BANAYAN JATA THA TESHU KE PHOOL SE RANAG KHEL NE PER YAH THIK VAISA TREATMENT KARTI HAI SKIN (TAVCHA) KE SATH  LIKE STEAM BATH OR SPA   JO TAVCHA SHARDI ME SIKUD JATA TI V SHUSHAK HO JAHATI HAI IS RANG KE NAHANE YA KHALE SE SKIN NARMAL HO JATI  EVAM READY FOR SUMMER  
SO ALWAYS USE TESHU KE PHOOL KA RANG IN HOLI FESTIVAL